घोर परिश्रम आधी रोटी, तन पर धारे फटी लंगोटी |
खेत जोतता दिखे किसान, यही है मेरा हिंदुस्तान ||
बैलों की जोड़ी है न्यारी, बिच में हल की करे सवारी|
देखो रोप रहा है धान, यही है मेरा हिंदुस्तान ||
धनिया पाथ रही है गोबर, भैंस चरता देखो मोबर |
चेहरे पर उसके मुस्कान, यही है मेरा हिंदुस्तान ||
खपरैलों के छत हैं दीखते, बारिश में हाय-हाय हैं करते |
ढूंढ़ रहा है कहीं ठिकान, यही है मेरा हिंदुस्तान ||
रामलाल की भैंस बीमार, पडवा को भी चढ़ा बुखार |
गईया से जो बछरू जन्मा, वह था उसका प्रथम वियान ||
यही है मेरा हिंदुस्तान ||
मगरू की जब हुई सगाई, घर में आई नई लुगाई |
बीबी को खुश करने का , बना है सभी बिधान||
यही है मेरा हिंदुस्तान ||
ठीह बाबा वाले बरगद पर भूतों का है डेरा,
गावं की सारी मृतक आत्मा करती हैं वहाँ बसेरा |
खरपत्तु के दादा का निकला था वहीं प्राण,
यही है मेरा हिंदुस्तान ||
झुरी यादव की पतोह को चुड़ैल का कुछ फेर,
लट्टी ओझा की कुटिया पर मचा हुआ अंधेर |
चिमटा से वह दबा रहा है उसके कान,
यही है मेरा हिंदुस्तान ||
लखटू के मझले लड़के को मिर्गी का है रोग,
वो देखो चमड़े का चप्पल सुघा रहे हैं लोग |
कल देख कुएं में गिरकर चली गयी है उसकी जान,
यही है मेरा हिंदुस्तान ||
रत में कुत्ते भू-भू करते, और चोर चोरी हैं करते,
भुत ढूंढने पर भी नही मिलते उनके कहीं ठिकान
यही है मेरा हिंदुस्तान ||
सुखों का खतरा है भारी, इन्द्र देव की विनती जारी |
पंडित जी कहते हैं बारिश होगी जोर बिहान,
यही है मेरा हिंदुस्तान ||
राम खिलावन आज सुबह से दीखते हैं कुछ बेचैन |
उदर रोग ने छिन लिया है उनका सब सुख चैन ||
निम् हकीमों के चक्कर में जा सकती है उनकी जान,
यही है मेरा हिंदुस्तान ||
झुलनी का है भारी पावं चर्चा में है सारा गावं ,
प्रेमी उसका हटा चूका है उस बेचारी पर से ध्यान
यही है मेरा हिंदुस्तान ||
परवतिया का नैहर देखो छुट रहा है आज,
उठा के घूँघट रोती है वो नही है कोई लाज|
कर देगी मदहोश पिया को मार के तिरछी मुस्कान,
यही है मेरा हिंदुस्तान ||
मुनिया की शादी में बापू करते काफी देर,
इसीलिए मनचले छोकरे फांद रहे मुंडेर |
अब हाथों में रचवा दे बापू मेहदीं भरे निशान
यही है मेरा हिंदुस्तान ||
मुनिया के घर वालों ने जब फेका नही दहेज ,
पति भी उसको करता है रखने से परहेज |
कर मागता है बेहूदा, रकने का नही ठिकान,
यही है मेरा हिंदुस्तान ||
भारत के लोगों का चित्रण करती है यह कविता, रामचरित रामायण के सेम |
जहाँ पढ़ी जाती है गीता, धोबी की कहने पर बन में सीता, छोड़ गये भगवान
यही है मेरा हिंदुस्तान ||