24 March 2012

घोर परिश्रम आधी रोटी, तन पर धारे फटी लंगोटी |

खेत जोतता दिखे किसान, यही है मेरा हिंदुस्तान ||

बैलों की जोड़ी है न्यारी, बिच में हल की करे सवारी|

देखो रोप रहा है धान, यही है मेरा हिंदुस्तान ||


धनिया पाथ रही है गोबर, भैंस चरता देखो मोबर |

चेहरे पर उसके मुस्कान, यही है मेरा हिंदुस्तान ||

खपरैलों के छत हैं दीखते, बारिश में हाय-हाय हैं करते |

ढूंढ़ रहा है कहीं ठिकान, यही है मेरा हिंदुस्तान ||


रामलाल की भैंस बीमार, पडवा को भी चढ़ा बुखार |

गईया से जो बछरू जन्मा, वह था उसका प्रथम वियान ||

यही है मेरा हिंदुस्तान ||


मगरू की जब हुई सगाई, घर में आई नई लुगाई |

बीबी को खुश करने का , बना है सभी बिधान||

यही है मेरा हिंदुस्तान ||


ठीह बाबा वाले बरगद पर भूतों का है डेरा,

गावं की सारी मृतक आत्मा करती हैं वहाँ बसेरा |

खरपत्तु के दादा का निकला था वहीं प्राण,

यही है मेरा हिंदुस्तान ||


झुरी यादव की पतोह को चुड़ैल का कुछ फेर,

लट्टी ओझा की कुटिया पर मचा हुआ अंधेर |

चिमटा से वह दबा रहा है उसके कान,

यही है मेरा हिंदुस्तान ||


लखटू के मझले लड़के को मिर्गी का है रोग,

वो देखो चमड़े का चप्पल सुघा रहे हैं लोग |

कल देख कुएं में गिरकर चली गयी है उसकी जान,

यही है मेरा हिंदुस्तान ||


रत में कुत्ते भू-भू करते, और चोर चोरी हैं करते,

भुत ढूंढने पर भी नही मिलते उनके कहीं ठिकान

यही है मेरा हिंदुस्तान ||


सुखों का खतरा है भारी, इन्द्र देव की विनती जारी |

पंडित जी कहते हैं बारिश होगी जोर बिहान,

यही है मेरा हिंदुस्तान ||


राम खिलावन आज सुबह से दीखते हैं कुछ बेचैन |

उदर रोग ने छिन लिया है उनका सब सुख चैन ||

निम् हकीमों के चक्कर में जा सकती है उनकी जान,

यही है मेरा हिंदुस्तान ||


झुलनी का है भारी पावं चर्चा में है सारा गावं ,

प्रेमी उसका हटा चूका है उस बेचारी पर से ध्यान

यही है मेरा हिंदुस्तान ||


परवतिया का नैहर देखो छुट रहा है आज,

उठा के घूँघट रोती है वो नही है कोई लाज|

कर देगी मदहोश पिया को मार के तिरछी मुस्कान,

यही है मेरा हिंदुस्तान ||


मुनिया की शादी में बापू करते काफी देर,

इसीलिए मनचले छोकरे फांद रहे मुंडेर |

अब हाथों में रचवा दे बापू मेहदीं भरे निशान

यही है मेरा हिंदुस्तान ||


मुनिया के घर वालों ने जब फेका नही दहेज ,

पति भी उसको करता है रखने से परहेज |

कर मागता है बेहूदा, रकने का नही ठिकान,

यही है मेरा हिंदुस्तान ||


भारत के लोगों का चित्रण करती है यह कविता, रामचरित रामायण के सेम |

जहाँ पढ़ी जाती है गीता, धोबी की कहने पर बन में सीता, छोड़ गये भगवान

यही है मेरा हिंदुस्तान ||


गाँवों में रहता भारत है.. ..||
गाँवों में रहता भारत है.. ..||

हरे भरे खेतों में, सरसों की पीली फूलों में,
गन्ने के मीठे शरबत में पलता भारत है.. |
गाँवों में रहता भारत है.. ..
गाँवों में रहता भारत है.. ..||

लहलहाते खेतों में खलिहानों में.. ...
गाँव की मिट्टी के कण-कण में पलता भारत है.|
गाँवों में रहता भारत है.. ..
गाँवों में रहता भारत है.. ..||

होली के रंगों में, गुलाल की भीनी खुशबू में
गुझीयों की मिठासो संग पलता भारत है.. |
गाँवों में रहता भारत है.. ..
गाँवों में रहता भारत है.. ..||

बसंत के नव निर्माणों में, माओं की गोदों में..
नव शिशुओं की मुस्कानों संग पलता भारत है.. |
गाँवों में रहता भारत है.. ..
गाँवों में रहता भारत है.. ..||

दीप पर्व के दीपों में, सावन की महकी बूदों में..
जुगनू सी जगमगाती रातों संग पलता भारत है.. |
गाँवों में रहता भारत है.. ..
गाँवों में रहता भारत है.. ..||

गाँवों में रहता भारत है.. ..

तुफानो से लड़ता किसान, हथेली पे लेके अपनी जान
हम जवानो के दिलों में पलता भारत है..
गाँवों में रहता भारत है.. ..
गाँवों में रहता भारत है.. ..||

शाम के वीरानों में, गरीबों की टूटी मकानों में,
नंगे -भूखे बच्चों की, बचपन में पलता भारत है..
गाँवों में रहता भारत है.. ..
गाँवों में रहता भारत है.. ..||

गर्मी की सुबहों और दोपहर की धूपों के जले थपेड़ों में,
किसानो के नंगे परों, KE SANG पलता भारत है..
गाँवों में रहता भारत है.. ..
गाँवों में रहता भारत है.. ..||

दिनरात परिश्रम करते किसानो के भीगे पसीनो में...
माताओं की खाली झोली में, पलता भारत है..
गाँवों में रहता भारत है.. ..
गाँवों में रहता भारत है.. ..||

:-
अंतुले
ANTULESHYAM@GMAIL.COM